उपचुनाव: 2020 काम नहीं आया हाथरस का हथकंडा

जनता ने जताया योगी के नेतृत्व पर यकीन

  • गिरीश पांडेय

काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती। समय के साथ तमाम हथकंडों की धार कुंद हो जाती है। उत्तर प्रदेश विधानसभा के उपचुनावों में विपक्ष के साथ यही हुआ भी। हाथरस का हथकंडा काम नहीं आया। समाज को जाति के आधार पर बांटने के मंसूबे धरे के धरे के रह गये। जनता ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सुशासन और तुष्टीकरण किसी का नहीं, विकास सबका के नारे पर एक बार फिर मुहर लगा दी। वह भी जोरदार तरीके से।नतीजे सबके सामने हैं।

कांग्रेस

तमाम हथकंडों और उछल-कूद के बावजूद कांग्रेस के खाते में शून्य ही आया। वह सिर्फ बांगरमऊ और घाटमपुर सीट पर नंबर दो पर रही, पर इन सीटों पर हार-जीत का अंतर बताता है कि कांग्रेस कहीं कांटे की लड़ाई में नहीं थी। बांगरमऊ में भाजपा उम्मीदवार श्रीकांत कटियार से कांग्रेस की प्रत्याशी आरती वाजपेयी की हार का अंतर 3120 मतों का रहा। घाटमपुर सुरक्षित में भाजपा के उपेंद्र पासवान ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस के कृपाशंकर को 23,820 मतों से शिकस्त दी। बाकी जगहों पर उसकी उपस्थिति न के बराबर रही।

बसपा

बसपा के लिए तो अब लगने लगा है कि वह मुस्कराने का अंतिम मौका गंवा ही चुकी है। कोई चमत्कार ही उसे अब यह मौका दिला सकता है। खासकर पश्चिमी यूपी में तो भीम आर्मी भी बसपा के लिए बड़ी चुनौती बन रही है। मौजूदा उपचुनावों में सिर्फ एक सीट पर बसपा दूसरे नंबर पर रही। बुलंदशहर सीट पर भाजपा की उषा सिरोही ने बसपा के मोहम्मद युनुस को 19,702 मतों से आगे रहीं।

सपा

रही बड़े-बड़े दावे करने वाली सपा की बात तो वह भी बड़ी मुश्किल से अपनी मल्हनी सीट बचा सकी। यहां हार-जीत की मार्जिन पांच हजार वोटों से भी कम की रही। वह तीन स्थानों देवरिया, नौगांव सादात और टुंडला में नंबर दो पर रही। टूंडला सीट पर जीत का अंतर 17,683, देवरिया 20,087 और नौगाव में 15,077 वोटों का रहा। इस तरह मौजूदा चुनावों में प्रदेश की जनता ने एक बार फिर विपक्ष को सिरे से नकार दिया।

जाति के नाम पर समाज को बांटने की साजिश भी बेकार गई

उपचुनावों की यह जीत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नीतियों की जीत है। जनता ने एक बार फिर उनके नेतृत्व पर यकीन जताया है। वह भी मुकम्मल तरीके से। वैश्विक महामारी कोरोना के दौरान हुआ यह चुनाव खुद में नये तरीके का था। कोरोना के संक्रमण के नाते बड़ी-बड़ी चुनावी सभाएं होनी नहीं थीं। सीमित सभाओं में कोरोना के प्रोटोकाल के अनुसार सोशल डिस्टेंसिंग का अनुपालन भी करना था।

मुख्यमंत्री ने तकनीक की मदद लेते हुए चुनाव के शुरुआती चरण में ही सीटवार प्रदेश और स्थानीय संगठन के साथ वर्चुअल बैठक कर सरकार और संगठन में बेहतरीन समन्वय का संदेश देते हुए कार्यकर्ताओं को जीत के मंत्र दिए। उनको चेताया कि हर चुनाव महत्वपूर्ण है। अपनी जीत को लेकर कतई अति आत्मविश्वास में न रहें। इन बैठकों में प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह के अलावा संबंधित जिलों के प्रभारी, विधानसभा चुनाव के लिए प्रभारी बनाए गए मंत्री, क्षेत्रीय अध्यक्ष, जिलाध्यक्ष, मंडल, सेक्टर और बूथ के प्रमुख पदाधिकारियों की मौजूदगी रही। वर्चुअल संवाद से माहौल बनने के बाद भाजपा ने कोरोना के सोशल डिस्टेंसिंग का अनुपालन करते हुए इन चुनावों में अपनी पूरी ताकत झोंक दी। नतीजा सबके सामने है।

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