छूना है आसमान मुझे
तारों को ज़मीं पर लाना है
पूछना है पता बादलों से
चांद को भी झुकाना है
बेताबी सी है अपना वजूद जानने को
अपनी ही हस्ती मिटा कर गुलिस्तां बनने को
बड़ी तलब सी है फरिश्तों से मुलाकात करने की
और शिद्दत सी है परियों से गुफ्तगू करने की
ना जाने कैसा जुनू है खुद को फ़ना कर गुले गुलज़ार होने का
मिटा करके अपनी ही हस्ती महकने का फितूर सा छाया है
बड़ी दीवानगी सी है गुल से गुलिस्तां होने की
कि दुनिया याद करे सदियों तक मुझे परवाने को
नफरतों में पली-बढ़ी मोहब्बत से जिगराना मेरा
याराना है दुश्मनों से दोस्तों से दुश्मनी मेरी
बस एक ही जुनू है अब तो, हर एक की मोहब्बत बनने का
जब जनाजा उठे मेरा तो काफिला हो करोड़ो आशिकों का 😊