नारी तू नारायणी

लवी सिंह

नारी तू जगदम्बा है, तू दुर्गा तू ही अम्बा है,
तू प्यार है, एतबार है,
इस जगत का तू ही आधार है
तू ही है जगत निर्माणी….

हे नारी तू नारायणी।

तू प्रेम में राधा बने, गृहस्थी में बने जानकी,
काली बनकर शीश काटे,
जब बात हो सम्मान की,
तू दुष्टों की संहारिणी….

हे नारी तू नारायणी।

हे नारी तुम हो आस्था, सबका तुम विश्वास हो,
टूटी हुई उम्मीदों की,
तुम ही एकमात्र आस हो,
तुम ही हो घट – घट वसिनी…

हे नारी तू नारायणी।

हे नारी सोई न रहो अब तुम,
उठो अपना अस्तित्व संभालो।
समय आ गया है अब समझो,
उठो म्यान से तलवार निकालो।
खड़ग निकाल वार करो, दुष्टों का संहार करो,
तुम ही हो संकट निवारिणि…

हे नारी तू नारायणी।

 

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