आज के दौर में गांधी विचार और दर्शन की प्रासंगिकता अधिक: डा. मोहम्मद आरिफ
राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर आयोजित नेतृत्व क्षमता विकास प्रशिक्षण सम्पन्न
आशा ट्रस्ट द्वारा आयोजित प्रशिक्षण शिविर में 32 प्रतिभागी रहे शामिल
आज के दौर में गांधी विचार और दर्शन की प्रासंगिकता अधिक: डा. मोहम्मद आरिफ
कठपुतली कला सम्प्रेषण की महत्वपूर्ण विधा है : मिथिलेश दुबे
स्वामी विवेकानंद जी की जयंती 12 जनवरी राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाई जाती है. इस क्रम में युवाओं के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन प्रारंभ हो गया है .सामाजिक संस्था ‘आशा ट्रस्ट’ द्वारा युवाओं में नेतृत्व क्षमता के विकास के लिए प्रशिक्षण शिविर का आयोजन भंदहा कला स्थित अपने प्रशिक्षण केंद्र पर किया जिसका समापन सोमवार को हुआ. इस शिविर में 7 जिलों के 32 प्रतिभागियों ने भाग लिया.
शिविर के अंतिम दिन प्रथम सत्र को संबोधित करते हुए वरिष्ठ गांधीवादी चिंतक और इतिहासकार डॉ. मोहम्मद आरिफ ने कहा कि आज के दौर में गांधी के विचारों और उनके दर्शन की प्रासंगिकता काफी अधिक हो गयी है. उन्होंने कहा कि जब पूरी दुनिया में हिंसात्मक युद्ध छिड़ा हुआ था, तब गांधी जी ने अहिंसात्मक युद्ध शुरू कर दिया था. उन्होंने हिंसात्मक इतिहास को अहिंसा में बदल दिया. राजनीतिक संघर्ष हल करने के लिए जिस तरह से उन्होंने अहिंसात्मक प्रतिरोध यानी सत्याग्रह का उपयोग किया, इससे हुआ ये कि बाद की दुनिया में राजनीतिक संघर्षों के हल के लिए यह सर्वोत्तम माध्यम बन गया. उन्होंने कहा कि शहीद भगत सिंह, गांधी जी, पं .नेहरू, डा अम्बेडकर आदि सभी महापुरुषों से युवाओं को प्रेरणा लेना चाहिए उन्हें अधिक से अधिक जानने और समझने की कोशिश करनी चाहिए.
दूसरे सत्र को प्रसिद्ध कठपुतली कलाकारों की टीम ने जल संरक्षण, तम्बाकू निषेध जैसे मुद्दों को कठपुतली नाटक के माध्यम से समझाया. टीम के संयोजक मिथिलेश दुबे ने कहा की कि कठपुतली विधा सामाजिक संदेशों को संप्रेषित करने की एक महत्वपूर्ण, प्रभावशाली और लोकप्रिय विधा है. इसके माध्यम से हम किसी भी अपरिचित समूह के बीच अपनी बात रोचक ढंग से रख सकते हैं .
वक्ताओं को संविधान की उद्देशिका देकर सम्मानित किया गया. कार्यक्रम का संचालन आशा ट्रस्ट के समन्वयक वल्लभाचार्य पाण्डेय और धन्यवाद ज्ञापन अरविंद मूर्ति ने किया. प्रशिक्षण शिविर के आयोजन ने राम जन्म भाई, प्रदीप सिंह, सूरज पाण्डेय, महेंद्र राठोर, विनय कुमार सिंह, दीनदयाल आदि की प्रमुख भूमिका रही