कठिन रोगों के लिए सर्वोत्तम होम्योपैथी- डॉ नमन निगम
10 अप्रैल वर्ल्ड होम्योपैथी डे
अस्थमा, मधुमें ,सफेद दाग, माइग्रेन, जैसी कठिन रोगों के लिए होम्योपैथी सर्वोत्तम उपचार पद्धति है। होम्योपैथी में ऐसी बीमारियों का बिना किसी साइड इफेक्ट के स्थाई रूप से उपचार संभव है या कहना इंटरनेशनल होम्योपैथिक एरा एकेडमी के डायरेक्टर डॉ नमन निगम का कहना है।
डॉ नमन निगम ने बताया की होम्योपैथिक का इतिहास पुराना है, लेकिन जर्मनी से शुरू हुई इस चिकित्सा पद्धति को भारत में समृद्ध होने पर काफी वक्त लगा। कभी गुरु-शिष्य परंपरा और किताबी ज्ञान से उपचार देने वाली यह पद्धति अब स्मार्ट हो गई है।
लगातार हो रहे शोध, प्रशिक्षित चिकित्सक, अस्पतालों के विस्तार और रोगों में आशातीत प्रभाव के चलते लोगों के विश्वास की कसौटी पर यह चिकित्सा खरी उतर रही है। यदि समय पर उपचार मिल जाए तो इस पैथी से जटिल रोगों को भी ठीक किया जा सकता है या उसके लक्षणों के नियंत्रण में सफलता पाई जा सकती है।
होम्योपैथिक चिकित्सा प्रणाली में न सिर्फ रोग का इलाज किया जाता है, बल्कि उसके कारण को जड़ से खत्म करके व्यक्ति को फिर से स्वस्थ भी किया जाता है। यदि सरल भाषा में कहें तो होम्योपैथी में न सिर्फ रोग का इलाज किया जाता है, बल्कि उसका कारण बनने वाली समस्याओं को ठीक करके जड़ से समस्या का समाधान किया जाता है।
यही कारण है कि आज होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति का इस्तेमाल भारत, इंगलैंड और कई यूरोपिय देशों में व्यापक रूप से किया जाता है।डॉ नमन निगम ने बताया दुनिया के लगभग 100 देशों में अपनाई जा रही होम्योपैथी चिकित्सा के जनक जर्मनी के एलोपैथिक चिकित्सक डा. सैमुअल हैनीमैन थे।
10 अप्रैल 1755 को जन्मे हैनीमैन को रसायनशास्त्र में बहुत रुचि थी और उन्होंने पौधों व खनिजों के माध्यम से इसके उपचार की शुरुआत की। होम्योपैथी चिकित्सा के प्रति जागरूकता और इस पैथी के पितामह हैनीमैन की याद में प्रति वर्ष 10 अप्रैल को वर्ल्ड होम्योपैथी डे मनाया जाता है।