अखंड बलशाली मां है तू तो,

इला पचौरी

अखंड बलशाली मां है तू तो,
अंश मात्र मुझे बल दे।
सहस्त्र दल रक्त कमल पर तू बैठी,
मुझे मात्र एक रक्त कमल दल दे।
तेरे नयनों की ज्वाला जग को दैदीप्यमान करे,
मुझे उस ज्वाला की एक सूक्ष्म लपट दे दे।
चार भुजाओं से शोभित तू ,रखती है सृष्टि को संभाले,
अपनी चार भुजाओं से, मुझे मात्र एक भुजा का बल दे।
स्वर तरंगिनी बहती मां तुझमें,
मुझे मात्र खरज वंदन का वर दे।
तू एक है जननी सम्पूर्ण जगत की,
आ तेरा भार हल्का करें।
हम असंख्य नारियां तेरे जगत की,
तुझ से तेरा अंश लेकर , शक्ति को द्विगुणित करें।
संपूर्ण जगत से कष्ट हटाने में तेरा सहयोग करें।
कर दे प्रज्वलित हम सब के भीतर स्वाभिमान की छोटी सी ज्वाला,
जागृत स्त्री फिर कर देगी इस अंधियारे जग को उजियारा।

इला पचौरी

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