नारी तू परा शक्ति है, ब्रह्मांड करता तेरी भक्ति है
डॉ प्रतिभा जवड़ा
नारी तू परा शक्ति है, ब्रह्मांड करता तेरी भक्ति है
तू सहनशक्ति का प्रतिरूप है, तू देवी है,
तू दात्री है, तू ही है प्रकृति और पालनहार ।
सब पर दया करना, सबको लेकर चलना तेरा धर्म है किंतु अन्याय अधर्म, असत्य, अपमान,अनादर को कभी मत सह। क्यूंकि तू अपने ही दुर्भाग्य को चुन लेगी,
जिसे तू स्वयं भी नहीं मिटा पाएगी और एक दिन खुद भी मिट जाएगी🙏🏻🙏🏻
स्वतंत्र रह किंतु स्वच्छंद नहीं,आधीन रह कर्तव्यों के, किंतु पराधीन नहीं
शक्तियों से सृजन कर विनाश नहीं, दानी और दात्री बन किंतु भिक्षुक और लाचार नहीं
प्रचंड है प्रखंड है इस सृष्टि का सृजन है
तू शांत है तो उजाला है अशांत है तो ज्वाला है
है कल्याण तेरा तुझ में ही नीहित, है विनाश सब का तेरा ही अहित। तू दया कर,
कृपा कर, प्रेम कर,आनंद कर
किंतु मोह से तू दूर रह, यह विनाश का प्रतिरूप है
तेरे कष्टों का प्रतिबिंब है।
नियंत्रित रह मर्यादाओं से, अधिकारी बन अधिकारों की
तू तेज है तू वेग है, शक्ति का संवेग है
तू ही है सबका आधार तू ही है सबका संसार।
अपने तेज को पहचान अपने वेग को तू जान और कर अपना सम्मान🙏🏻🙏🏻💐💐
डॉ प्रतिभा जवड़ा
साइकोलॉजिस्ट एंड सोशल एक्टिविस्ट
लेखिका कवियित्री