मानसिक शिक्षा को प्रारंभिक शिक्षा से लागू किया जाए

डॉ प्रतिभा जवड़ा साइकोलॉजिस्ट एंड सोशल एक्टिविस्ट

हम हर रोज अखबारों में,टीवी चैनलों के माध्यम से‌ देख रहे हैं और अपने आसपास प्रतिदिन महसूस भी कर रहे हैं कि देश में कई प्रकार की मानसिक बीमारियां,नशे की लत, हत्याएं, आत्महत्याएं, छोटी मासूम एवं नाबालिक बच्चियों के साथ बलात्कार जैसे जघन्य अपराध बढ़ रहे हैं इसका मूल कारण है उनकी मानसिक दुर्बलता एवं वे लोग मानसिक रूप से पूर्णतया बीमार है। हमने प्रत्यक्ष रूप से कोविड-19 जैसी महामारी की मौतों के आंकड़ों से पाया है कि जितनी मृत्यु कोरोना बीमारी से नहीं हुई उससे कई गुना अधिक मृत्यु कोरोना के डर ,घबराहट, हृदयाघात और आत्महत्याओं से हुई है।

मैंने नशा मुक्ति केंद्रों पर काउंसलिंग के दौरान प्रत्यक्ष रूप से यह देखा है और पाया है कि अधिकतम नशे का शिकार वे पढ़े लिखे और बुद्धिजीवी व्यक्ति हैं जो पूर्ण शिक्षित और अनुभवी है। किंतु उनका मानसिक स्तर इतना कमजोर और विचलित है की वे लोग उच्च शैक्षिक स्तर पर पहुंचने के पश्चात भी मानसिक रूप से मजबूत नहीं है। संघर्षों का सामना नहीं कर सकने की अक्षमता के कारण नशे का सेवन कर रहे हैं।

इससे एक बात स्पष्ट होती है कि उनका मानसिक स्तर इतना ज्यादा कमजोर एवं नकारात्मक है कि वे लोग संघर्षों का सामना कर पाने में मानसिक रूप से असक्षम है और उनसे बचने के लिए या क्षणिक सुख को पाने की लालसा में कई प्रकार के नशे की लत का शिकार हो रहे हैं।अत्यंत दुख की बात तो यह है कि स्कूली शिक्षा प्राप्त करने वाले बालकों को भी मैंने इस लत में लिप्त पाया है। काउंसलिंग के अंतर्गत मैंने महसूस किया है की बालकों के मन मस्तिष्क पर उनके आसपास के वातावरण का कुप्रभाव अत्यधिक पड़ रहा है।उनके परिवार और वे स्वयं इस समस्या से अत्यंत ग्रसित है। किंतु वे लोग इन समस्याओं को मानने को तैयार नहीं है, यही उनकी मानसिक दुर्बलता है।

नशे की लत, अपराध एवं कई प्रकार की मानसिक बीमारियां हमारे देश की बड़ी चुनौतियां बन गई है । जिन्हें हमें नियंत्रण करने की अत्यंत आवश्यकता है। नशा मुक्ति केंद्र, बाल सुधार गृह, काउंसलिंग सेंटर्स जगह-जगह खोले गए हैं किंतु यह समस्याओं से मुक्ति का स्थाई उपाय नहीं है। नशे की लत, आत्महत्याएं, हत्याएं, नन्ही मासूम बच्चियों से बलात्कार जैसे जघन्य अपराध हमारे समाज और राष्ट्र की सबसे बड़ी समस्याएं है । यह समस्याएं इसलिए पैदा हो रही है क्योंकि लोगों का मानसिक स्तर अत्यंत कमजोर होता जा रहा है। चारों तरफ नकारात्मकता बढ़ रही है। वे लोग मानसिक रूप से मजबूत नहीं है।

नशे की लत,आत्महत्या, नाबालिक बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों की समस्याओं से मुक्त होने के लिए हमें समस्या की जड़ तक पहुंचना अति आवश्यक है। क्योंकि मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति ही इस तरह के भयानक एवं निंदनीय अपराध करते हैं, शराब या अन्य कोई नशे जैसी कमजोरियों का सहारा लेते हैं और धीरे धीरे नशे की लत का शिकार हो जाते हैं। इन सभी समस्याओं की सिर्फ एक जड़ है मानसिक नकारात्मकता। जब मानसिक नकारात्मकता समाप्त या कम हो जाएगी तब हम इन सभी समस्याओं को कई हद तक नियंत्रण में कर पाएंगे। क्योंकि नकारात्मकता का स्तर इतना बढ़ चुका है कि घर परिवार में ही एक दूसरे के प्रति ईर्ष्या, जलन, द्वेषता की भावना एवं प्रतिस्पर्धा की भावनाओं से ग्रसित व्यक्ति नकारात्मक प्रवृत्तियों की तरफ रुख करता जा रहा है।और इन्हीं कारणों से हर तरफ तनाव, अनिद्रा, घृणा एवं डिप्रेशन जैसी मानसिक बीमारियां भी बढ़ रही है। चारों तरफ अराजकता का वातावरण फैल रहा है।

हमें इस अराजकता से निजात पाने के लिए नकारात्मकता को समाप्त या कम करना अति आवश्यक है। इसके लिए हमें स्कूल शिक्षा से ही बालक के मानसिक स्तर को मजबूत करने की आवश्यकता है। बालकों में मानसिक सकारात्मकता को बढ़ाने की आवश्यकता है। यदि मानसिक स्तर मजबूत होगा और बचपन से ही बालकों में सकारात्मक उर्जा का संचार होगा तो आने वाली पीढ़ी को हम कई हद तक वातावरण के कुप्रभावों से बचा सकते हैं।
एवं इस तरह की समस्याओं को कई हद तक नियंत्रण में कर सकते हैं।

अक्सर हमने देखा है कि नशा मुक्ति केंद्र से नशे से मुक्ति कुछ समय के लिए होती है । जब वे नशा मुक्ति केंद्रों से बाहर जाते हैं और फिर समस्याओं और संघर्षों के आने पर एवं बुरी संगत में पड़ने पर बीमार व्यक्ति पुनः उसी विनाशकारी प्रवृत्तियों की तरफ भागता है। अक्सर देखा है कि कैद से रिहा होने के बाद अपराधी वातावरण या संगत या तुच्छ प्रलोभन के कारण पुनः उन्हीं कुप्रवृत्तियों को अपना लेता है। मेरे कहने का तात्पर्य यह है कि ‌बाल सुधार गृह नशा मुक्ति केंद्र या काउंसलिंग सेंटर ये सब इन चुनौतियों के स्थाई उपाय नहीं है। इसके लिए सरकार एवं हम सबको मिलकर ठोस एवं स्थाई कदम उठाने पड़ेंगे हम सभी को मिलकर इन समस्याओं के समाधान के उपाय करने होंगे।

अतः परिजनों से निवेदन है की अपने बच्चों को बचपन से ही मानसिक रूप से मजबूत बनाने के लिए घर का वातावरण सकारात्मक एवं ऊर्जावान बनाए रखें। उन्हें बालपन से ही नकारात्मक सीखे ना दें या उनकी गलतियों को अनदेखा ना करें। अपने बच्चों को नकारात्मकता से दूर रखें। एवं सरकार को भी ‌ऐसी समस्याओ को जड़ से खत्म करने के लिए ठोस और स्थाई उपाय करने आवश्यकता है। अतः सरकार से भी निवेदन है कि ऐसी भयानक समस्याओं के समाधान या निराकरण के उपाय यह है कि प्राथमिक शिक्षा से ही बच्चे के मानसिक स्तर को मजबूत बनाया जाए। बालकों को प्रारंभिक शिक्षा से ही मानसिक सकारात्मकता की शिक्षा दी जाए। बालकों के मन मस्तिष्क को मजबूत बनाने के लिए मानसिक शिक्षा दी जाए।

इसके लिए मनोविज्ञान विषय को प्रारंभिक शिक्षा से ही अनिवार्य विषय के रूप मे शिक्षा के सिलेबस में जोड़ दिया जाए। इसमें हम ब्रह्माकुमारी की मेडिटेशन शिक्षा को भी सम्मिलित कर सकते हैं। ताकि बालक बचपन से ही सकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण रहे एवं मानसिक रूप से मजबूत बने। पूर्ण ऊर्जावान बने जिससे कि बालक किसी भी गलत वातावरण से प्रभावित ना हों,एवं नकारात्मक उर्जा उन पर हावी ना हो। वे हर एक समस्या का सामना करने में मानसिक रूप से तैयार रहें, पूर्ण रूप से सकारात्मक बने। इससे हमें कई प्रकार के मानसिक रोगों जैसी समस्याओं से भी मुक्ति मिल सकती हैं।
अतः मुझे पूर्ण आशा और विश्वास है कि यदि सरकार द्वारा इस तरह के मजबूत कदम उठाए जाएंगे तो परिणाम पूर्णतया सकारात्मक एवं संतोषपूर्वक होंगे एवं ऐसी समस्याओं पर हम नियंत्रण पा सकेंगे।

डॉ प्रतिभा जवड़ा
साइकोलॉजिस्ट एंड सोशल एक्टिविस्ट

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