“जीत का संदेश हूं”

प्रतिभा "प्रिया" की कलम से

मैं तेज हूं, मैं वेग हूं !
हर शक्ति का संवेग हूं!!

आवेग हूं इस सृष्टि का!
विनाश हूं तम् दृष्टि का!!

निज बल भी मैं संबल भी मैं!
इस नींव का प्रस्तर भी मैं!!

उत्थान हूं अबला नारी का!
विध्वंस हूं नर अहम् का!!

आवाज हूं इस प्रकृति की!
अंदाज हूं नई प्रगति की!!

कुछ अनकहे प्रश्नों का जवाब हूं!
कुछ अनचाहे जवाबों का सवाल हूं!!

मैं जीत हूं हर शक्ति की!
आव्हान हूं मैं उस भक्ति की!!

मैं प्रेरणा प्रगति की!
आवाज हूं हर व्यक्ति की!!

भंजन हूं अन्याय ,अधर्म ,असत्य का!
दमन हूं मैं अपमान ,अहंकार का!!

दुर्गा भी मैं काली भी मैं!
रणचंडी और चामुंडा भी मैं!!

नारायणी नारी भी मै!
सबला और शांति भी मैं!!

आक्रोश हूं अंधकार की!
आगाज़ हूं परिवर्तन की! !

कल्याण का ब्रह्मास्त्र हूं!
निज स्रोत हूं संधान का!!

मशाल हूं नई क्रांति की!
संकेत हूं चिर शांति की!!

 

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