वर्तमान समय में सामाजिक कार्यकर्ताओं की भूमिका महत्वपूर्ण : अरविन्द मूर्ति

युवा सामाजिक कार्यकर्ताओं का नेतृत्व विकास प्रशिक्षण शिविर प्रारंभ 

7 जिले के प्रतिभागी सम्मिलित हैं 
विभिन्न सामाजिक मुद्दों, जन अधिकारों पर समझ बढ़ाने की कोशिश 
भारतीय समाज में व्याप्त पितृसत्तात्मक मानसिकता खतरनाक: नीति 
सामाजिक संस्था आशा ट्रस्ट द्वारा भंदहा कला स्थित प्रशिक्षण केंद्र पर नेतृत्व विकास कार्यशाला शनिवार को प्रारंभ हुयी जिसमे  पूर्वांचल के 7 जिलों के सामाजिक कार्यकर्ता सम्मिलित हैं. प्रशिक्षण शिविर के पहले सत्र में युवा सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा समाज में सक्रिय भागीदारी निभाने के लिए आह्वान करते हुए जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय के सदस्य अरविंद मूर्ति कहा कि आम आदमी के अधिकार दिलाने और अपने कर्तव्यों के प्रति उन्हें सचेत करने में युवाओं की विशेष भूमिका होनी चाहिए. हर स्तर के चुनाव में अधिकतम मतदान द्वारा जागरूक, कर्मठ एवं  ईमानदार जन प्रतिनिधियों के चुनाव से हम लोकतंत्र को और मजबूत बना सकते हैं.

सरकारीकरण आंदोलन से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता ब्रिकेश कुमार यादव ने कहा कि वर्तमान दौर में बाजारीकरण के कारण आज समाज का एक बड़ा हिस्सा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित हो रहा है, कोई स्पष्ट नीति न होने के कारण सरकारी विद्यालयों की स्थिति क्रमशः दयनीय होती जा रही है ऐसे में समाज ख़ास कर युवाओं को सरकारी स्कूलों की दशा सुधारने के लिए आगे आना चाहिए.
 
प्रशिक्षिका नीति ने लैंगिक समानता की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि  सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक प्रगति के बावजूद वर्तमान भारतीय समाज में पितृसत्तात्मक मानसिकता जटिल रूप में व्याप्त है। इसके कारण महिलाओं को आज भी एक ज़िम्मेदारी समझा जाता है। महिलाओं को सामाजिक और पारिवारिक रुढ़ियों के कारण विकास के कम अवसर मिलते हैं, जिससे उनके व्यक्तित्व का पूर्ण विकास नहीं हो पाता है, युवाओं को इस बारे में विकसित दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है.

आशा ट्रस्ट के समन्वयक वल्लभाचार्य पाण्डेय ने कहा कि समाज में व्याप्त कुरीतियों भ्रष्टाचार, असमानता या असंतोष को दूर करने के लिए लोगों अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक करना होगा. इसमें युवाओं की विशेष भूमिका होगी.
 
कार्यक्रम में चंदौली के नौगढ़ क्षेत्र के दुरूह इलाके में विगत 30 वर्षों से रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता डा. एस पी सिंह को अंगवस्त्रम और स्मृतिचिन्ह देकर सम्मानित किया गया.  शिविर की व्यवस्था में प्रदीप कुमार सिंह, सूरज पाण्डेय, दीन दयाल सिंह, महेंद्र राठोर आदि की प्रमुख भूमिका रही.

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