जनसंख्या वृद्धि का कारण
जनसंख्या नियंत्रण गरीबी उन्मूलन की गुणकारी औषधि
देश की आजादी के समय संसाधनों की कमी, इतने सालों बाद आज भी संसाधनों की कमी, हमेशा संसाधनों की कमी का रोना
देश समाज की उन्नति कैसे हो- गरीबी का दंश, देश के अधिकांश आबादी को झेलना पड़ रहा है, इस बुराई पर प्रहार कैसे हो शायद एक ही उपयुक्त उत्तर होगा- जनसंख्या नियंत्रण l
आजादी के मिलने के आरम्भ से हम संसाधनों के बारे में तो सोचने लगे लेकिन जनसंख्या नियंत्रण पर केवल औपचारिकताओं का निर्वाह किया गया जिस से परिणाम भयावह होता गया कि आज देश की तरक्की के लिए उठाया गया हर कदम ऊंट के मुंह में जीरा लगता है
यदि हमने संसाधनों को जुटाने के साथ-साथ जनसंख्या नियंत्रण पर भी समान बल दिया होता तो शायद आज देश की तस्वीर का अलग पहलू होता
सरकार को जनसंख्या वृद्धि को रोकने के संभव एवं सार्थक प्रयास करने होंगे इसके लिए वार्षिक बजट में प्रमुख स्थान होना चाहिए तभी विकास संभव है
जनसंख्या वृद्धि यदि नहीं रोकी गई तो आगामी योजनाएं हम बनाते रहेंगे परिणाम शून्य ही रहेगा अपराधों पर अंकुश असंभव होगा युवा मन विचलित एवं अनिर्णय की स्थिति में कुंठा से भरा रहेगा दुर्घटनाये घटती रहेगी इन दुष्परिणामों से भविष्य भयावह ना बने सामाजिक चेतना जगानी होगी जनसंख्या पर नियंत्रण करना होगा
विकास में चीन से तुलनात्मक अध्ययन तो किया जाता है लेकिन चीन में लागू दंडात्मक प्रावधानों को अपनाने को क्या हमारा देश तैयार हैl जनसंख्या नियंत्रण के उपाय जो चीन ने अपनाये क्या उन पर हम राजी होंगे शायद नहीं
अतः सरकारों को, समाज को, समाज के हर व्यक्ति को, जनसंख्या नियंत्रण पर होने वाले सकारात्मक बदलाव के बारे में सोचने की आवश्यकता है तभी हमारा देश भाैतिक आध्यात्मिक उन्नति कर सकेगा
देश की विधायिका, सवैंधानिक पद पर विराजमान लोग, आमजन, सभी को जनसंख्या नियंत्रण पर ध्यान देना होगा
सरकारी, अर्द्ध सरकारी संस्थाएं, समाजसेवियों को आगे आना होगा पारदर्शी कार्यक्रमों का आयोजन करना होगा तभी इस बुराई की जड़ पर प्रहार हो पाएगा
और हम सम्पन्न हो पाएंगे
वरना निश्चित है कि जनसंख्या का सुरसा मुंह की तरह बढ़ता जाना है प्रत्येक वर्ष राष्ट्रीय बचत का डंका बजने लगता है रेलवे का बजट आम बजट आदि आदिl
हमारी निगाहें अपनी जरूरतो के हिसाब से बजट के अच्छे बुरे का आकलन करने में जुट जाती है राजनेता विपक्षी को, विपक्षी, सत्ता पक्ष को कोसते हैं
टीवी समाचार पत्रों एवं न्यूज़ चैनल की सुर्खियां बटोरते हैं, प्रतिक्रिया देते हैं लेकिन कभी किसी ने समाज की सबसे बड़ी समस्या जनसंख्या नियंत्रण पर कुल बजट की राशि का कितना प्रतिशत सुनिश्चित किया गया, किसी को ज्ञात ही नहीं होता ना ही किसी को उत्सुकता, न हीं पार्लियामेंट में बहस l हम दूसरे देशों से तुलना जरूर करते हैं कि अमुक देश में इतनी अमीरी है वहां के लोग कितने संपन्न हैं
ऐसा इसलिए है क्योंकि हमारे देश के एक जनपद की जनसंख्या से भी कम यूरोप के एक राज्य की आबादी है बुराइयों की जड़ जनसंख्या का बिना रोक-टोक बढ़ते जाना है
हम बात करते हैं संयुक्त परिवार व एकल परिवार की, और अक्सर सुना जाता है कि आप परिवार बड़े छोटे हैं, एकल परिवार हैं आदि आदि लेकिन ध्यान देने योग्य तो यह है कि इन छोटे परिवार की संख्या कितनी है समाज की कुरीतियों पर चोट करने में यह एकल परिवार कितने सक्षम है
हम पूरे देश की जनसंख्या को दिलो दिमाग में रखें और यदि यह नियंत्रण में हो जाए तो बल्ले बल्ले l उदाहरण के लिए यदि परिवार छोटा है सभी एक दूसरे का अच्छी तरह देखभाल कर सकेंगे संयुक्त परिवार में दादा दादी बच्चों को संस्कारों से अवगत करेंगे l माता-पिता उपलब्ध साधनों से बच्चों को शिक्षित बनायेगे वहीं बच्चे भविष्य निर्माता बनकर समाज के अंग होंगे और देश के विकास में योगदान करेंगे ए शिक्षा गरीबी, अपराध, गुनाह, बेरोजगारी, भुखमरी, पिछड़ापन सब का कारण वास्तव में जनसंख्या वृद्धि है जिसे घटाना जरूरी है
नामुमकिन को मुमकिन कर गुजरना होगा, कमतर जनसंख्या खुशहाल जीवन बनाना होगा