श्रीकृष्ण बाल लीला और गोवर्धन पूजा की कथा सुनकर भाव-विभोर हुए श्रद्धालु
वाराणसी नरपतपुर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के पांचवें दिन पूज्य श्री मनीष कृष्ण शास्त्री जी महाराज ने श्रीमद् भागवत कथा के पंचम दिवस मे बाल लीला एवं गोवर्धन पूजा का प्रसंग सुनाया। श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का प्रसंग सुनाते हुए उन्होंने कहा कि कृष्ण भगवान की अद्भुत लीलाएं मानव जीवन के लिए प्रेरणादायक हैं। बाल कृष्ण सभी का मन मोह लिया करते थे।
नटखट स्वभाव के चलते यशोदा मां के पास उनकी हर रोज शिकायत आती थी। मां उन्हें कहती थी कि प्रतिदिन तुम माखन चुरा के खाया करते हो तो वह तुरंत मुंह खोलकर मां को दिखा दिया करते थे कि मैने माखन नहीं खाया। पं.मनीष कृष्ण शास्त्री जी महाराज ने कहा श्रीकृष्ण भक्तों के बंधन में बंध जाते हैं। जब जीव मन, वचन, काया से स्मरण करता है तो प्रभु कृपा कर देते हैं।
प्रभु अपने भक्तों से दूर नहीं रह सकते हैं। भगवान श्रीकृष्ण के घर गायों और माखन की कमी नहीं थी। इसके बावजूद गोपियों के अटूट प्रेम के चलते भगवान श्रीकृष्ण माखन चोर कहलाए। गोबर्धन पूजा कथा का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने इंद्र का अहंकार दूर करने के लिए सभी ब्रिज वासियों की रक्षा करते हुए गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठा लिया जब इंद्र ने अपनी शक्ति का दुरुपयोग करके ब्रज वासियों को परेशान किया तो सारे ब्रज वासियों की रक्षा करने हेतु भगवान श्री कृष्ण आए और आकर के गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठा लिया तभी सभी ब्रिज वासियों ने गोवर्धन पर्वत के नीचे शरण ली और इसके बाद इंद्र को अपनी भूल का अहसास हुआ और उन्होंने श्रीकृष्ण से क्षमा याचना की इसके बाद गोवर्धन पर्वत के पूजन की परंपरा आरंभ हुई इस उत्सव पर व्यास जी के जुग जुग जिया सु ललनवा भवनवा क भाग जागल, पलना में ललना झुलावे यशोदा मैय्या,काली कमली वाला, आरती कुंज बिहारी की, की गिरधर कृष्ण मुरारी की आरती एवं भजन से सभी भक्तों का मन मोहित कर दिया माहौल भक्तिमय हो गया।
महाराज जी के सानिध्य में बाल लीला व गोवर्धन पूजा की झांकी व वैदिक मंत्रोच्चार से व्यासपीठ का पूजन व आरती जितेंद्र पांडेय,जितेंद्र मिश्रा, ओमप्रकाश तिवारी,आचार्यों के द्वारा संपन्न कराया गया झांकी व संगीत कलाकारों में अवधेश त्रिपाठी,जय चतुर्वेदी, विश्वजीत शर्मा ने अपने कलात्मक वादन से लोगों को झूमने पर विवश कर दिया।
महाराज जी ने कहा कि भागवत कथा के प्रकाश से कलयुग भी सतयुग में परिवर्तित हो जाता है कलयुग में लगातार पाप, क्रोध व अन्याय बढ़ रहा है।ऐसे में भक्तों को अवश्य भागवत कथा का श्रवण करना चाहिए भागवत कथा का श्रवण करने वालों में मुख्य रुप से बच्चालाल,चद्रकला रामजी,छोटेलाल,भोलेनाथ,ओमप्रकाश,जिउत प्रसाद,लालजी,श्याम जी,गोलू,शोलू,अरविंद व अन्य श्रोता उपस्थित थे।