श्रीमद् भागवत कथा के तृतीय दिवस में सती चरित्र एवं शिव-पार्वती विवाह का कथा सुन मंत्रमुग्ध हुए श्रोता

वाराणसी नरपतपुर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में तीसरे दिन की कथा वाचक में पं.मनीष कृष्ण शास्त्री जी महाराज ने सती चरित्र और शिव-पार्वती विवाह की कथा सुनाई। कथा वाचक मनीष कृष्ण शास्त्री जी महाराज ने कहा कि मनुष्य जीवन में जाने अनजाने प्रतिदिन कई पाप होते है। उनका ईश्वर के समक्ष प्रायश्चित्त करना ही एक मात्र मुक्ति पाने का उपाय है।

उन्होंने ईश्वर आराधना के साथ अच्छे कर्म करने का आव्हान किया। उन्होंने कहा कि व्यक्तियों को अपने जीवन में क्रोध, लोभ, मोह, हिंसा व संग्रह आदि का त्यागकर विवेक के साथ श्रेष्ठ कर्म करने चाहिए। व्यासपीठ से महाराज जी ने भागवत कथा के दौरान सती चरित्र आदि प्रसंगों पर प्रवचन करते हुए कहा कि भगवान के नाम मात्र से ही व्यक्ति भवसागर से पार उतर जाता है।

श्रीमद् भागवत कथा
श्रीमद् भागवत कथा

महाराज जी ने मीरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है, तेरी मंद मुस्कनिया, कर्म प्रधान जैसे भजनों के माध्यम से लोगों को भाव विभोर कर दिया।उसके बाद शिव-पार्वती विवाह का प्रसंग बताते हुए कहा कि, यह पवित्र संस्कार है, लेकिन आधुनिक समय में लोग संस्कारों से दूर भाग रहे है। जीव के बिना शरीर निरर्थक होता है, ऐसे ही संस्कारों के बिना जीवन का कोई मूल्य नहीं होता। भक्ति में दिखावा नहीं होना चाहिए।

जब सती के विरह में भगवान शंकर की दशा दयनीय हो गई, सती ने भी संकल्प के अनुसार राजा हिमालय के घर पर्वतराज की पुत्री होने पर पार्वती के रुप में जन्म लिया। पार्वती जब बड़ी हुईं तो हिमालय को उनकी शादी की चिंता सताने लगी। एक दिन देवर्षि नारद हिमालय के महल पहुंचे और पार्वती को देखकर उन्हें भगवान शिव के योग्य बताया। इसके बाद सारी वार्ता शुरु तो हो गई, लेकिन शिव अब भी सती के विरह में ही रहे।

ऐसे में शिव को पार्वती के प्रति अनुरक्त करने कामदेव को उनके पास भेजा गया, लेकिन वे भी शिव को विचलित नहीं कर सके और उनकी क्रोध की अग्नि में कामदेव भस्म हो गए। इसके बाद वे कैलाश पर्वत चले गए। तीन हजार सालों तक उन्होंने भगवान शिव को पाने के लिए तपस्या की। इसके बाद भगवान शिव का विवाह पार्वती के साथ हुआ। कथा स्थल पर भगवान शिव( सोनल) और माता पार्वती (साधना)के पात्रों का विवाह कराया गया।

विवाह में सारे बाराती बने और खुशियां मनाई। कथा में भूतों की टोली के साथ नाचते-गाते हुए शिव जी की बारात आई। बारात का भक्तों ने पुष्पवर्षा कर स्वागत किया। शिव-पार्वती की सचित्र झांकी सजाई गई। यजमान बच्चा लाल, चन्द्रकला देवी, भोलेनाथ सपत्नी और भी परिवार के लोग विधि-विधान पूर्वक शिव पार्वती में सम्मिलित हुए महिलाओं ने मंगल गीत गाए और विवाह की सारी रस्म पूरी हुई।

महाआरती के बाद महाप्रसादी का वितरण किया गया। कथा में तीसरे दिन बड़ी संख्या में महिला-पुरुष कथा श्रवण करने पहुंचे। व्यासपीठ पुजन व‌ शिव पार्वती विवाह आचार्य जितेन्द्र पांडेय , जितेन्द्र मिश्रा द्वारा विधिवत मंत्रोच्चार कर संपन्न कराया गया संगीत सहयोगी कलाकार जय चतुर्वेदी, विश्वजीत शर्मा, अवधेश त्रिपाठी,अरविंद अन्य कलाकार ने अपने संगीत के माध्यम से लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया|

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