गौ सेवा सनातन संस्कृति की सच्ची सेवा- उपेन्द्र मिश्रा (पिंटू गुरु)

आज कार्तिक मास की शुक्ल अष्टमी के दिन गोपाष्टमी पर हिन्दू सेना रक्षा दल के प्रदेश अध्यक्ष ने प्रातः काल गौ माता को स्नान कराया और उसके बाद पूरे विधि – विधान से गौ और बछड़े की पूजा किया और उन्होंने बताया कि इस समय जो पशुओं में लंपी स्किन डिजिज बीमारी फैली है इससे बहुत ही अधिक पशुओं की मौत हुई है इस पर दुःख व्यक्त करते हुए कहा कि हमें पशुओं को समय पर नहलाना और स्वच्छता पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है भारतीय संस्कृति में गाय को माता का स्थान दिया गया है।गाय के शरीर मैं सभी देवी देवता, ऋषि मुनि,गंगा आदि सभी नदियाँ तथा तीर्थ निवास करते हैं, इसीलिए गौसेवा से सभी की सेवा का पुण्य अर्जित होता है ।चार धाम का पुण्य भी गौ सेवा से मिल जाता हैभारतीय संस्कृति के पुण्य पर्व गोपाष्टमी जहां गोमाता की रक्षा एवं संवर्धन होता हैतथा उन्हें पूज्यभाव देकर पूजा जाता है वह व्यक्ति, समाज, राष्ट्र निश्‍चित ही वैभव को प्राप्त करता है ।

आइए, ऐसी गोमाता का सर्वप्रथम बछडे सहित पूजन कर इस दिन का प्रारंभ करें । हर एक मंगल कार्य की शुरुआत, गौ पूजन के साथ। अगर ऐसा हो विश्वास, तो फिर घबराने की क्या बात।गोपाष्टमी पर देवताओं के आशीर्वाद आप पर बरसे और गाय की उदारता, सौभाग्य, शांति और समृद्धि आप को मिले गो माता करतीं सदा, भव सागर से पार, इनकी तुम सेवा करो, जीवन देंगी तार. गायों की सेवा करो और बचाओ जान,कान्हा आगे आएंगे, सुख की छतरी तान. गोबर करता है यहां, ईधन का भी काम, गौ सेवा जिसने की, उसके हो गए चारों धाम. भगवान श्री कृष्ण एवं गौ-माता की आराधना के पावन त्योहार गौ-माता, जिनके भीतर तैंतीस कोटि देवी-देवता विराजमान हैं, आज हमें उस दिव्य स्वरूप की सेवा और संरक्षण के लिए संकल्प लेना होगा। तभी भारतीय सनातन संस्कृति की सच्ची सेवा होगी।

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