श्रीमद् भागवत कथा में कृष्ण जन्म पर झूम उठे श्रद्धालु

वाराणसी नरपतपुर में नौ दिवसीय संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का आयाेजन किया गया है। चौथे दिन कथावाचक मनीष कृष्ण शास्त्री जी महाराज ने गणेश वंदना गजानन कर दो बेड़ा पार हम तुम्हें मनाते है, अइसन बराती न देखी आज तक जिया करे धकाधक, करूणानिधान रउआ जगत के दाता हईं , बड़ा निक लागे राघव जी का गउंआ जैसे भजन सुनते ही खड़े होकर नाचने लगे इसके बाद अजामिलोपाख्यान, प्रहलाद चरित्र के बारे में विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा कि प्रहलाद भगवान विष्णु का भक्त था और हिरण्यकश्यप विष्णु जी को शत्रु मानता था, इस कारण वह अपने ही बेटे को मारना चाहता था।
विष्णु जी ने प्रहलाद की रक्षा के लिए नरसिंह अवतार लिया और हिरण्यकश्यप का वध कर दिया। वामन अवतार, भगवान श्री कृष्ण के जन्म उत्सव, सहित अन्य कई अवतारों का चर्चा की। इस दौरान जीवंत झांकियों के साथ श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया गया। पूरा पंडाल नंद के घर आनंद भयो व जय कन्हैया लाल की.. के उद्घोष से गूंज उठा। भगवान श्री कृष्ण के जन्म के समय सभी श्रोता झूमने और नाचने लगे। सुमधुर भजनों के साथ कथा श्रवण करने भक्तों की भीड़ उमड़ी रही।
वामन अवतार की कथा में बताया कि भगवान ने राजा बलि से दान में तीन ही पग मांगा। प्रभु ने पहले पग में राजा बलि का मन नापा तो दूसरे में पूरी सृष्टि यानी धन को नाप दिया। जब तीसरे पग की बारी आई, तो राजा बलि भी मूक हो गए। तब उनकी पारी आगे आई और राजा बलि को अपना तन भगवान को अर्पित कर देने की बात कही। इस तरह राजा बलि ने तन, मन व धन भगवान के चरणों में अर्पित कर दिया।
कथावाचक ने वामन अवतार की लीला के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि जब-जब धरा पर अत्याचार, दुराचार, पाप बढ़ता है, तब-तब प्रभु का अवतार होता है। प्रभु का अवतार अत्याचार को समाप्त करने और धर्म की स्थापना के लिए होता है। मथुरा में राजा कंस के अत्याचार से व्यथित होकर धरती की करुण पुकार सुनकर नारायण ने कृष्ण रूप में देवकी के अष्टम पुत्र के रूप में जन्म लिया और धर्म और प्रजा की रक्षा कर कंस का अंत किया।
उन्होंने कहा कि जीवन में भागवत कथा सुनने का सौभाग्य बड़ा दुर्लभ है। जब भी हमें यह अवसर मिले, इसका सदुपयोग करना चाहिए। कथा का सुनना तभी सार्थक होगा, जब उसके बताए मार्ग पर चलकर परमार्थ का काम करेंगे। कृष्ण जन्मोत्सव के दौरान भगवान कृष्ण व वासुदेव की संजीव झांकी से श्रोताओं का मन मोह लिया। श्रोताओं ने भगवान का पूजन कर माखन मिश्री का भोग लगाया।
इस मौके पर महिला पुरुषों ने नंदोत्सव पर जमकर नृत्य किया। चौथे दिन की कथा के अंत में पूज्य मनीष कृष्ण शास्त्री जी महाराज के सानिध्य में व्यास पीठ की पूजन व आरती आचार्य जितेन्द्र पांडेय,जितेन्द्र मिश्रा द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार कर संपन्न कराया गया संगीत सहयोगी कलाकार जय चतुर्वेदी, विश्वजीत शर्मा रहें । आरती व पूजन करने वालों में बच्चा लाल,चन्द्रकला, भोलेनाथ ,रामजी, छोटेलाल, ओमप्रकाश, जिउत,गोलू ,सोलू के अलावा उनके परिजन उपस्थित थें इसके अलावा अरविंद कुमार,चंदन,संदीप अन्य श्रद्धालू भी उपस्थित रहे।