शक्ति-रूपेण संस्थिता: कोरोनाकाल मे समाजसेवी दुर्गा हुई सक्षम

मदद को आगे आये लोगों ने ज़रूरतमंद बच्चों को पढ़ने को इस शिक्षिका को दिया स्मार्टफोन,

वाराणसी: राजातालाब, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र सर्वविद्या कि राजधानी काशी के राजातालाब क्षेत्र में वंचित समुदायों के बच्चे स्मार्टफोन के अभाव में शिक्षा से दूर होते जा रहे हैं. विगत 3 सालो से वंचित समुदाय के बच्चों को निःशुल्क शिक्षा दे रही शिक्षिका पूजा गुप्ता ने पिछले महीने उन बच्चों के सामने आने वाली कठिनाइयों को सोशल मीडिया पर उजागर करते हुए शिक्षा विभाग, जनप्रतिनिधियों और सामाजिक संगठनों से अनुरोध किया था कि ऑनलाइन शिक्षा नहीं मिलने से ये बच्चे पिछड़ रहे हैं इनको आनलाइन शिक्षा देने के लिए संसाधन उपलब्ध कराया जाए जिसके बाद समाज के कई तरफ से लोग मदद के लिए आगे आए हैं।

ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा का अलख जगा रही इस नवदुर्गा को समाज के लोगों ने ही सक्षम बनाने का कार्य किया। शिक्षा को पूजा के रूप में स्वीकार ने वाले लोगों ने इस शिक्षिका को स्मार्टफोन देकर उनसे गरीबों के कल्याण के लिए सदैव खड़े रहने की कामना की। क्षेत्रीय लोगों ने स्मार्टफोन उपलब्ध कराने के बाद कहा कि हम सब की नवरात्रि की पूजा तभी सार्थक होगी जब पूजा के पास स्मार्टफोन हो और वह वंचित वर्ग के बच्चों को शिक्षित करने का काम कर सके। स्कूल बंद हैं और ऑनलाइन क्लासेज के ज़रिए पढ़ाई हो रही है. पढ़ाई के इस तरीके से घर बैठकर बच्चों को पढ़ाया और कोरोना संक्रमण से बचाया तो जा सकता है, लेकिन समस्या है उस तबके के बच्चों के लिये जिनके माता पिता स्मार्टफोन खरीदने और इंटरनेट कनेक्शन का बिल भरने में सक्षम नहीं हैं. लेकिन बदलाव और परेशानी की कई कहानियों के बीच कुछ ऐसे चेहरे और कहानियां भी हैं जो ये विश्वास पैदा करती हैं कि इंसानियत के बल हम इस महामारी से जंग जीत सकते हैं.

ऐसी ही एक कहानी है राजातालाब की स्वैच्छिक सेवा प्रदाता शिक्षिका पूजा गुप्ता की. जिन बच्चों के पास पढ़ने के लिये स्मार्टफोन नहीं हैं, ऐसे बच्चों की मदद का ज़िम्मा पूजा ने उठाया है. पूजा ने अब तक क्राउड फंडिंग के ज़रिए दो स्मार्टफोन फोन गरीब तबके के बच्चों को आनलाइन शिक्षा पहुंचाने को मिला हैं. अब उनका लक्ष्य स्मार्टफोन के जरिए आनलाइन शिक्षा गरीब बच्चों तक पहुंचे और ये काम उन्होंने शुरू भी कर दिया है. फंड जुटाने और ज़रूरतमंदों तक पहुंचने में पूजा को सोशल मीडिया से काफी मदद मिली।अब तक कई गरीब अभिभावकों ने भी उनसे संपर्क किया है ताकि आरटीई से निजी स्कूलों में दाख़िला लेकर पढ़ रहे उनके बच्चों को भी आनलाइन शिक्षा का लाभ मिल सके. पूजा का कोई एनजीओ नहीं है. वह क्राउड फंडिंग के ज़रिए अभी तक दो स्मार्टफोन जुटा चुकी है.

पूजा का कहना है, “जब लॉकडाउन हुआ तब सारे स्कूल बंद हो गए और सबसे ज्यादा दिक्कत गरीब परिवार के बच्चों को आई, क्योंकि ऑनलाइन क्लासेज शुरु हो गई. जिन परिवारों के पास राशन नहीं था खाने को दो वक्त की रोटी नहीं थी उनके पास मोबाइल होना एक मुश्किल बात थी. वो स्मार्टफोन कैसे खरीदते और इंटरनेट पैक कैसे डलवाते. हमने ऐसे बच्चों के बारे में पता किया और उन तक स्मार्टफोन के जरिए आनलाइन शिक्षा पहुंचाने की पहल की ताकि बच्चों की पढ़ाई चल सके. पूजा ने बताया कि फोन के लिए पैसा टि्वटर, इंस्टाग्राम, फेसबुक के ज़रिए इकठ्ठा करना शुरू किया. जिनको हम जानते नहीं है ऐसे भी कई लोगों ने पैसे डोनेट किए. सबसे अहम चीज रही सोशल मीडिया जिसके जरिए हम लोगों से कनेक्ट हुए, कई स्कूलों से कनेक्ट हुए और बच्चे भी ऐसे कई सोशल मीडिया पर मिले जिनको आनलाइन शिक्षा की जरूरत थी. पूजा की इस पहल से अन्य तमाम बच्चों का डॉक्टर, इंजीनियर और अफसर बनने का सपना पूरा हो सकता है. ये दिखाता है कि कैसे एक छोटी सी कोशिश हमारे आने वाले भविष्य को संवार सकती है. कस्बे के गरीब बच्चों के बीच कोरोना काल मे शिक्षा की अलख जगाए रखने का यह प्रयास पूजा का बेहद सराहनीय है. साथ ही उन लोगों के लिए भी एक संदेश है ,जो कोरोना काल में भी शिक्षा के व्यावसायीकरण को बढावा देने में लगे हुए हैं।

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