गांव की खूबियों को बयां करता है लोकगायक गोपाल राय का नया गीत “”हमार गऊँवां”

मुंबई| शहर की भागदौड़ वाली जिंदगी से निकलकर जब भी इंसान गांव जाता है तो वहां उसे एक अलग ही शांति प्राप्त होती है। वहां का माहौल दिल को खुश कर देता है। इसी कॉन्सेप्ट पर आधारित लोकगायक गोपाल राय एक पारम्परिक गीत “हमार गऊँवां” लेकर आए हैं। जिसे वर्ल्डवाइड रिकार्ड्स भोजपुरी के ऑफिसियल यूटयूब चैनल पर रिलीज किया गया है। इस गाने को बड़ी खूबसूरती से फ़िल्माया गया है। गाने की शुरुआत एक बच्चे के डायलॉग से होती है वो पूछता है ” कहाँ जा रहे हैं बाबा” तो गोपाल राय गीत के माध्यम से अपने गांव का दृश्य पेश करते हैं और बच्चे को भी गांव का नजारा दिखाते हैं। इस प्यारे से गीत का संगीत महिपाल भारद्वाज ने तैयार किया है गीत पारम्परिक है और आवाज़ गोपाल राय की है।

वर्ल्डवाइड रिकॉर्ड्स प्रस्तुत गोपाल राय इस गीत में गांव का बखान करते दिखाई देते हैं। वह गाते हुए यह बातें कहते हैं कि गांव में चारो ओर हरियाली होती है। ठंडी हवाएं चलती हैं, खूबसूरत पंछी होते हैं, परिंदों की चहचहाहट से मन प्रफुल्लित हो जाता है। यहां छोटे-छोटे सुंदर तालाब होते हैं जिन्हें देखकर मन प्रसन्नता से भर जाता है।
गांव शब्द सुनकर ही दिल दिमाग मे खेत, खलिहान, परिंदे, तालाब, पहाड़, खेत, बागीचे, खेलते बच्चे की तस्वीर सामने आ जाती है। गोपाल राय का यह गीत दरअसल भारतवर्ष के गांवों की खूबियां बयान करता है। शहर की आप धापी से दूर गांव में एक बेहद सरल ज़िन्दगी का अहसास होता है। गांव एक ऐसी जगह माना जाता है जहाँ सब एक दूसरे के सुख दुःख में शरीक होते हैं। गांव का हर एक दृश्य कितना लुभावना लगता है। वाकई गांव प्रकृति के बेहद करीब होता है। इस गीत में गोपाल राय अपने प्यारे से गांव की तस्वीर अपनी गायकी के द्वारा खींचते दिख रहे हैं।

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