वरिष्ठ कवयित्री श्रीमती शिब्बी ममगाईं की पुस्तक ‘आज की मधुशाला’ का लोकार्पण
पैंतीस से अधिक कवियों ने किया कविता पाठ
वाराणसी जनवरी । साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक सेवा में लगी उद्गार संस्था और ‘स्याही प्रकाशन’ के संयुक्त तत्वाधान में उद्गार संस्था की 43 वीं काव्य गोष्ठी का आयोजन संपन्न हुआ। गोष्ठी में काशी की वरिष्ठ कवयित्री श्रीमती शिब्बी ममगाईं की काव्य पुस्तिका ‘आज की मधुशाला’ का लोकार्पण किया गया। यह कार्यक्रम वाराणसी स्थित न्यू अशोक विहार कॉलोनी, शिवपुर में स्याही प्रकाशन के शिविर सभागार में आयोजित किया गया।
‘उद्गार’ संस्था व ‘स्याही प्रकाशन’ के सयुक्त तत्वाधान में आयोजित 43 वीं काव्य गोष्ठी व लोकार्पण समारोह में शहर एवं बाहरी जिलों से आए कुल 35 कवियों ने अपनी-अपनी कविताओं का भी पाठ किया। शहर की ख्यात वरिष्ठ कवयित्री श्रीमती शिब्बी ममगाईं रचित रुबाई संग्रह ‘आज की मधुशाला’ हिन्दी के कवि स्वर्गीय हरिवंशराय बच्चन की ‘मधुशाला’ से प्रेरित है।
यह पुस्तक शराब एवं शराबखाने दोनों के औचित्य पर प्रश्न खड़ा करती है। साथ ही लोगों को काव्य व्यंजनाओं में समझाती है कि शराब स्वास्थ्य व समाज दोनों के लिए ठीक नहीं है, इसका समाज को त्याग कर देना चाहिए।
‘स्याही प्रकाशन’ वाराणसी से प्रकाशित ‘आज की मधुशाला’ 06 जनवरी 2020 से देशभर के हिंदी पाठकों के लिए अब उपलब्ध है। कुछ दिनों बाद इसे शॉपक्लूज, स्नैपडील, फ्लीपकाॅर्ट और अमेजॉन जैसे विजिनेश पोर्टल से भी खरीदा जा सकता है।
उक्त काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता जिला प्रशिक्षण अधिकारी दीनानाथ द्विवेदी ‘रंग’ ने किया। उपस्थित अतिथिजनों में उद्गार साहित्यिक संस्था के संरक्षक एवं सेवानिवृत्त न्यायधीश चंद्रभाल सुकुमार, हीरालाल मिश्र ‘मधुकर’, डूडा के पूर्व उपायुक्त कंचन सिंह परिहार रहे एवं लोकार्पण कार्यक्रम का संचालन योगेंद्र नारायण चतुर्वेदी वियोगी ने किया। श्रीमती शिब्बी ममगाईं ने उपस्थित सभी साहित्यकार एवं अतिथि जनों को स्मृति चिन्ह देकर संस्था की ओर से सम्मानित किया।
कार्यक्रम के अंत में उद्गार साहित्यिक संस्था के संस्थापक एवं प्रबंधक श्री छतिश द्विवेदी ‘कुंठित’ ने बतौर ‘स्याही प्रकाशन’ प्रतिनिधि सबको स्वागत सहित आभार जताया और कार्यक्रम की सफलता के लिए धन्यवाद दिया।
उपस्थित कविजनों में नवल किशोर गुप्त, कवयित्री श्रुति गुप्ता, कवयित्री नीलिमा श्रीवास्तव, योगेंद्र नारायण चतुर्वेदी, मनोज मिश्रा, आशिक बनारसी, खलील अहमद ‘राही’, कवयित्री नसीमा निशा, ख्यात परिणय पुस्तक के रचयिता नगेंद्र सिंह, प्रसन्न वदन चतुर्वेदी, संतोष कुमार प्रीत, अनुराग मिश्रा, कुमार केतन, विंध्यवासिनी मिश्रा, दशरथ कुमार चैरसिया, प्रगति पांडे, रंजना राय, मुनींद्र पांडे ‘मुन्ना;, जयप्रकाश मिश्र ‘धानापुरी’ आदि गणमान्य रहे। आयोजित कविगोष्ठी में इन कवियों ने अपनी-अपनी कविताएं सुनाई। अन्य उपस्थित गणमान्य साहित्य प्रेमियों में प्रो. अरविन्द कुमार जोशी, श्रीमती आशा रोड़े, श्रीमती चन्द्रकला रावत, डाॅ. महेन्द्र प्रताप सिंह, श्रीमती किरण सिंह, श्रीमती रेखा उपरेती, एवं मोनेश श्रीवास्तव एवं संजय गुप्ता, सत्यम मिश्रा व खुश्बू पटेल आदि लोग थे।
स्याही प्रकाशन एवं उद्गार संस्था की ओर से श्री छतिश द्विवेदी ‘कुंठित’, डॉक्टर लियाकत अली एवं श्री हर्षवर्धन ममगाँई ने सभी आगंतुकों व अतिथियों का स्वागत लोकाचार भी किया।