आशा ट्रस्ट का कोविद संकट से प्रभावित कामगार परिचय अभियान जारी
अब तक 3000 से अधिक प्रवासी श्रमिकों से आंकड़ा लिया जा चुका है, घर घर सम्पर्क कर के आंकड़ा एकत्र किया जा रहा है, स्थानीय स्तर पर सम्मानजनक आजीविका चाहते है कामगार
वाराणसी| कोरोना संकट के चलते दूसरे प्रदेशों से लौटे कामगारों को स्थानीय स्तर पर रोजगार एवं आजीविका के अवसर उपलब्ध करवाने की कोशिश के तहत सामाजिक संस्था आशा ट्रस्ट द्वारा कोविद संकट से प्रभावित कामगार परिचय अभियान के तहत किया जा रहा सर्वेक्षण जारी है, अभी तक 5 जिले के 20 विकासखंडों से लगभग 3000 से अधिक लोगों से आंकड़े जुटाए जा चुके हैं. आशा ट्रस्ट की इस पहल में अन्य संस्थाएं जैसे लोक चेतना समिति, जन विकास समिति, प्रेरणा कला मंच, मनरेगा मजदूर यूनियन, लोक समिति, ग्रामीण विकास एवं प्रशिक्षण संसथान आदि द्वारा भी अपने अपने कार्य क्षेत्र में सर्वे किया जा रहा है.
इस अभियान के तहत यह जानने का प्रयास हो रहा है कि कारीगर या श्रमिक किस विधा में कुशल है और किस प्रकार के कार्य करता रहा है. यह भी आंकड़ा लिया जा रहा है कि प्रवासी श्रमिको को किस प्रकार की परेशानी का सामना करना पड़ा वे वापस उन राज्यों में काम के लिए जाना चाहेंगे अथवा नहीं एवं वर्तमान परिस्थितियों में सरकार से उनकी अपेक्षाएं क्या हैं.
अब तक मिले आंकड़ों के बारे में आशा ट्रस्ट के समन्वयक वल्लभाचार्य पाण्डेय ने बताया अधिकतम कामगार और कारीगर अपनी योग्यता और क्षमता के यहीं स्थानीय स्तर पर कार्य का अवसर चाहते हैं. उन्हें लगता है कि मनरेगा इसके लिए पर्याप्त नही होगा बल्कि छोटे कल कारखानों और औद्योगिक इकाइयों की स्थापना होनी चाहिए जिसमे लोगों को रोजगार मिले. कुछ कामगारों का मानना है कि कुछ महीनों जब स्थितियां सामान्य होंगी तो हम वापस उन्ही जगहों पर काम के लिए लौट जायेंगे. उन्होंने बताया कि जिस प्रकार के आंकड़े मिल रहे हैं उसके आधार पर स्पष्ट है कि दूसरे प्रदेशों में एक कुशल कामगार को 10 से 15हजार रूपये तक की मासिक आय हो जाती थी जो वर्तमान स्थिति में स्थानीय स्तर पर उपलब्ध नही हो पाएगी. कृषि के साथ जुड़े हुए सहायक उद्योगों की स्थापना एक बेहतर विकल्प हो सकेगा.